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नवरात्रा

नवरात्रों के पावन दिन आए है,
चारों ओर सब ने माता के मंदिर सजाए हैं,
धूमधाम से मिलकर सब ने माता के गीत गाए हैं,
शारदीय नवरात्र आए हैं।।

प्रथम दिन माँ शैलपुत्री के गुण आज गाए हैं,
दिव्य माता की महिमा अलौकिक छाई है,
नवरात्रों ने चारों ओर डांडिया की धूम मचाई है,
आस्था यहां व्रत और उपवास में बदल आई हैं,
मां ने हमेशा अपने भक्तों की बिगड़ी बनाई है।।

तू ही वैष्णवी,तू ही रुद्राणी,तू ही शारदा,
तू ही ब्रह्माणी,तू ही काली,तू ही त्रिकुटा,
तू ही जगत जननी माँ अम्बे भवानी,
जय हो तेरी माँ अम्बे रानी,
जय चामुंडा जय दुर्गा रानी,
आदिशक्ति जय विधितभवानी।।

ऊंचे पर्वत पर सजा तेरा द्वार लगी लम्बी आस्था की कतार,
वहां बारंबार नौ दिनों तक घर-घर में सब ने ज्योति जगाई है,
जागरण की गूंज घर-घर में आई है,
हर भक्त ने माँ से गुहार लगाई है,
सब के मुख से जय माता दी कि गूंज आई है।।

माँ की महिमा अपरंपार है,
लगाई भक्तों की नैया पार है,
नौ रूपों का माँ का दिव्य अलौकिक अवतार है,
करती माँ दुष्ठो को संहार है,
जब-जब अधर्म सामने आता,
माँ जगदंबा लेती अवतार है,
बचाती अपने भक्तों का संसार है।।

आए पावन नवरात्रों के त्यौहार है,
चारों और माँ की जय जयकार है,
कैसे करूं मैं माँ की महिमा का बखान,
मेरी कलम छोटी और माँ की लीला अपरंपार है,
करो आराधना सच्चे मन से माँ की क्योंकि,
आती जरूर माँ नवरात्रों में भक्तों के दरबार में।।

या देवि सर्वभूतेषु मातृ रूपेण संस्थिता।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

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