
ब्रह्मा विष्णु शिव जिसके सामने शीश झुकाए,
वह जगदंबा कहलाए,
हर स्त्री में जगदंबा का वास है,
हर स्त्री में कुछ ना कुछ खास है II
तीनो लोक जिस के गुण गाए,
वह जगदंबा कहलाए,
जिसके होने से यह जीवन चक्र चलता जाए,
वह एक माँ कहलाए,
जो हर वक्त पुरुष को उसकी रक्षा का एहसास दिलाए,
वह बहन कहलाए II
हर वक्त जो साथ निभाए,
हर मुश्किल में जो तुम्हारे साथ खड़ी रह जाए,
वह पत्नी कहलाए,
बिना स्वार्थ निष्ठा के आपकी मदद करती जाए,
एक अच्छी सखी कहलाए,
वो हर घड़ी में अपने मां पिता का साथ निभाए,
वो बेटी कहलाए II
वक्त आने पर अपनों के लिए जान दे जाए,
अपने देश पर मर मिट जाने की लग्न जिसमे आए,
वह सच्ची देशभक्त कहलाए,
हर किसी में प्रेम की भावना जगाए,
सच्चा मार्ग दिखाएं,
सत्य और असत्य में अंतर बताएं,
अच्छाइयों का मार्ग दिखाएं,
हमारी दादी नानी वह कहलाए II
स्त्रियों ने अनेक रूप पाए,
इसने अपने सारे किरदार बखूबी निभाएं,
जिसे विदा करके भी तुम विदा नहीं कर पाए II
स्त्रियों के अनेक किरदारों से भरा संसार है,
किसी की उम्मीद किसी की ममता का प्यार है,
कोई राखी का त्यौहार है,
कोई करवा चौथ के व्रत का उपहार है,
कोई खुशियों का अंबार है,
मां बहन बेटी पत्नी सखी तुम सब से यह संसार है II
Bohut achhi kavita hai Didi😍😍,👍👍👍👍👍
ReplyDeleteThank u 😊
DeleteA very nice poem..����
ReplyDeleteThank u 😇
ReplyDeleteAmazing
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